Thursday, December 29, 2011

Random thoughts


तेरे  खयालो  में  जागते  हैं
तेरे  सपनो  में  सोते हैं 
तुने  नींद  नहीं  लूटी  चैन  नहीं  चुराया
बस  जीने  की नयी  राह  दिखाई 




सब कुर्बान कर गए आखिर तन्हाई पाई 
तेरे राह पर चलने की  यह सज़ा पाई 
अब जाए कहाँ रस्ता अन्जान है 
कदम कदम पर चुबे  कांटे! हाय!
आगे अकेले चल नहीं पाऊँ मुझे भक्ष दो 
जलादो मेरे बदन को अपना  मशाल बनालो
यह आखरी दुआ है तुमसे...मुझपे इतना तो रहम करदो!



की मौत तो मेहबूबा है , उस्की बाहों में चले जाएंगे
और इस ज़िन्दगी के बेवफाई ने हमे सिखा ही दिया है
की अकेले आए थे, अकेले ही चले जाएंगे **

अकेले आए थे, अकेले ही चले जाएंगे
इस दुनिया पे अपनी चाहत की ऐसी मिसाल छोड़ जाएंगे
तेरी याद में ये बेवफा, मौत को भी
हस्ते हुए गले लगा जाएंगे **

** यह दोनों मेरे एक पुराने दोस्त के अन्मोल रत्न हैं



Saturday, January 15, 2011

దూర తీరాలలో...

కూటికోసం, కూలికోసం 
పట్టణంలో బ్రతుకుదామని- 
తల్లి మాటలు చెవిన పెట్టక 
బయలుదేరిన బాటసారికి, 
మూడురోజులు ఒక్కతీరుగా 
నడుస్తున్నా దిక్కుతెలియక  -
నడి సముద్రపు నావ రీతిగా 
సంచరిస్తూ, సంచలిస్తూ 
దిగులు పడుతూ, దీనుడవుతూ
తిరుగుతుంటే -
చండ చండం, తీవ్ర తీవ్రం 
జ్వరం కాస్తే,
భయం వేస్తే,
ప్రలాపిస్తే -
మబ్బు పట్టీ, గాలికొట్టీ 
వాన వస్తే, వరదవస్తే 
చిమ్మ చీకటి క్రమ్ముకొస్తే 
దారితప్పిన బాటసారికి 
ఎంత కష్టం! 

శ్రీ శ్రీ జీవం పోసిన ఈ బాటసారి కథ ఈ నాటికీ ఎన్నో జీవితాల ప్రతిబింబం 
సంతోషాన్నీ దుఖ్ఖాన్నీ  పంచుకోడానికి తోడు లేకుంటే చాలా కష్టం.
అందరికీ దూరంగా పూలదారి వేటలో నడుస్తూ ఉండడం  మహా కష్టం.
 దూర తీరాలలో ఒంటరి జీవితం ఎంతో కష్టం...